दस दिवसीय संस्कृत सम्भाषण शिविर के समापन कार्यक्रम का प्रारम्भ उपस्थित अतिथियों ने दीप जलाकर किया।

हल्द्वानी
एम बी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हल्द्वानी में एम बी  राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हल्द्वानी व संस्कृत‌भारती उत्तराँचलम के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे दस दिवसीय संस्कृत सम्भाषण शिविर के समापन कार्यक्रम का प्रारम्भ उपस्थित अतिथियों ने दीप जलाकर किया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि संस्कृतभारती की प्रान्ताध्यक्षा श्रीमती जानकी त्रिपाठी, ने कहा कि भाषा संभाषण व लगातार अभ्यास करने से ही आती है अतः हम सभी को संस्कृत संभाषण का प्रयास करते रहना चाहिए।

कार्यक्रम संरक्षक व अध्यक्ष एमबीपीजी० महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एन-एस बनकोटी ने शिविरार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि संस्कृत में संभाषण करना व इसे जानना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है। यह आषा अत्यन्त शुद्ध पारिमार्जित व वैज्ञानिक है , इस भाषा में अगाध ज्ञान का भण्डार छिपा हुआ है।यह भाषा संस्कारों की जननी है। संस्कृत हमे अपनी संस्कृति का भी बोध कराती है तथा हमारी संस्कृति संस्कृताश्रित है । यह भारत की आत्मा है।

विशिष्ट अतिथि – जन्तु विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो० महेश कुमार शर्मा ने कहा कि संस्कृत विज्ञान की भी जननी है। संस्कृत के प्राचीन ग्रन्थों में विज्ञान की अनेक पद्धतिया व ज्ञान समाहित है संस्कृत भाषा सीखकर हम शास्त्रों में सन्निहित ज्ञान को विश्वपटल पर लाकर सकते हैं।
संस्कृत भारती के प्रदेश सहमंत्री व शिक्षक डा० चन्द्र प्रकाश उप्रेती ने संस्कृतभार‌ती के कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि संस्कृत भारती वर्तमान में विश्व के २९ देशों में सक्रियता के साथ संस्कृत संभाषण को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य कर रही है।
संस्कृत विभागाध्य‌क्षा व कार्यक्रम संयोजिका प्रो० कमला पन्त ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं संस्कृतभारती के कार्य की सराहना करते हुवे आगे भी इस तरह के कार्य करने की इच्छा जतायी। उन्होंने बताया कि इस संभाषण शिबिर में महाविद्यालय के अनेकों छात्रो ने दस दिन तक संस्कृत संभाषण सीखा। डॉ. हेमन्त जोशी ने कार्यक्रम का सञ्चालन किया तथा डा दीपिका पांडे ने अतिथियों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में, छात्र प्रकाश रुवाली, कुo मेघा व नेहा ने शिबिर के अपने अनुभव बताए ।
इस अवसर पर डॉ.गोविन्द सिंह बोरा , डाo ममता पंत , डॉ० केलाश सनवाल, डॉ.दिवाकर टम्टा, डॉ. अनीता भोज, डॉ० कविता बिष्ट , डॉ. नीता पाण्डे, भारती पांडे, डा सुधीर नैनवाल, डा हेमा,देवी, डा प्रमोद जोशी , आकांक्षा सहित अनेक संस्कृत जिज्ञासु व शिविरार्थी उपस्थित रहे ।

Ad

सम्बंधित खबरें