उद्यान विभाग की सभी विभागीय नर्सरियों को पुनर्जीवित किया जाए: वंदना

देहरादून। उत्तराखण्ड में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग तथा अन्य रेखीय विभागों की योजनाओं के बेहतर धरातलीय क्रियान्वयन को और अधिक मजबूत करने के उद्देश्य से महानिदेशक कृषि एवं उद्यान वंदना सिंह ने शुक्रवार को उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में उपस्थित विभागीय अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए गए और प्रगति की समीक्षा की गई।

विभागीय नर्सरियों को पुनर्जीवित करने के निर्देश

महानिदेशक ने कहा कि उद्यान विभाग की सभी विभागीय नर्सरियों को पुनर्जीवित किया जाए। उन्होंने सभी मुख्य उद्यान अधिकारियों को निर्देश दिए कि एक माह के भीतर नर्सरी एवं राजकीय उद्यानों के पुनर्जीवन के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार करें। योजना में संबंधित क्षेत्र की पौध आवश्यकताओं को प्राथमिकता देते हुए नर्सरियों को उसी अनुरूप विकसित करने को कहा गया।

आलू बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य

बैठक में कहा गया कि विभाग को आलू बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना होगा। इसके लिए आलू बीज उत्पादन हेतु उपयुक्त नर्सरियों को चिन्हित कर राज्य की कुल आवश्यकता का आकलन किया जाए। संबंधित नोडल अधिकारी एक सप्ताह के भीतर दो वर्ष की विस्तृत योजना प्रस्तुत करेंगे जिससे राज्य में आलू बीज की कमी पूरी की जा सके।

कीवी मिशन, एप्पल मिशन और पौध उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना

महानिदेशक ने निर्देश दिए कि कीवी मिशन, एप्पल मिशन एवं अन्य बागवानी योजनाओं में पौधों की कुल मांग का कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सा राज्य में ही तैयार करने की क्षमता विकसित की जाए। इसके लिए जायका परियोजना सहित विभाग की अन्य परियोजनाओं का सहयोग लेने को कहा गया।

राजकीय और निजी नर्सरियों के सहयोग से अगले एक माह में इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु विभाग द्वारा विस्तृत प्लान तैयार किया जाएगा।

अधिकारियों की तैनाती और उपस्थिति पर सख़्त निर्देश

बैठक में अधिकारियों की तैनाती और उपलब्धता को लेकर भी कठोर निर्देश दिए गए। महानिदेशक ने कहा कि उद्यान निदेशक हर माह न्यूनतम सात दिन चौबटिया निदेशालय में रहेंगे।

देहरादून में संबद्ध उपनिदेशक, संयुक्त निदेशक और अपर निदेशक स्तर के अधिकारी, जिन्हें अतिरिक्त कार्य दिए गए हैं, वर्ष में कम से कम तीन माह चौबटिया में बैठकर काम करेंगे।

इस संबंध में रोस्टर तैयार कर दिसंबर से लागू किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि देहरादून में अनावश्यक रूप से अधिकारियों की तैनाती नहीं रहेगी।

पॉलीहाउस योजना में धीमी प्रगति, गुणवत्ता पर सवाल

नाबार्ड के सहयोग से चल रही पॉलीहाउस योजना के संबंध में महानिदेशक ने गंभीर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा चयनित कंपनी के कार्य में समस्याएँ सामने आई हैं—कार्य की प्रगति धीमी है और गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है, जिससे किसानों में असंतोष है।

महानिदेशक ने निर्देश दिए कि इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट बनाई जाए और शासन को भेजी जाए, जिसमें यह संस्तुति शामिल हो कि कंपनी का अनुबंध निरस्त कर दिया जाए तथा किसानों को अपनी इच्छानुसार कंपनी चुनने की छूट दी जाए। पॉलीहाउस स्थापना हेतु सहायता सीधे डीबीटी के माध्यम से दी जाए।

विभाग को तकनीकी गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए केवल फैसिलिटेटर की भूमिका निभाने को कहा गया।

पूर्व में स्थापित पॉलीहाउस की गुणवत्ता जांच

जिन किसानों के पॉलीहाउस पहले से स्थापित किए जा चुके हैं, उनमें गुणवत्ता की जांच की जाएगी। जहां भी कमी पाई जाती है वहां संबंधित कंपनी को पॉलीहाउस बदलने होंगे, अन्यथा विभाग धनराशि की वसूली करेगा।

जिन किसानों ने भुगतान कर दिया है लेकिन स्थापना नहीं हुई है, उन मामलों में विभाग धनवापसी प्रक्रिया शुरू करेगा।

निर्देशों के अनुपालन के लिए नियमित समीक्षा

महानिदेशक ने कहा कि दिए गए निर्देशों के अनुपालन की निगरानी के लिए विभाग हर महीने समीक्षा बैठक आयोजित करेगा।

वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति

बैठक में निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग एस.एल. सेमवाल, प्रभारी निदेशक डॉ. रतन कुमार, संयुक्त निदेशक डॉ. सुरेश राम, निदेशक मिशन बागवानी महेन्द्र पॉल, उत्तराखंड आयुर्वेदिक परिषद के CEO नरेन्द्र यादव सहित रेखीय विभागों के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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