स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित को नहीं मिल रहा न्याय सरकारी भूमि पर मकान निर्माण में विभाग बना बाधा

 

हल्द्वानी। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय खीमानंद  भट्ट के आश्रित अपनी ही आवंटित भूमि पर मकान निर्माण के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि जिस भूमि का नियमितीकरण सरकार द्वारा किया गया था, अब उसी पर निर्माण कार्य में सरकारी विभाग ही अड़ंगा लगा रहा है।ग्राम हरिपुर तुलाराम, गोरापड़ाव निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. खीमानंद भट्ट को वर्ष 2018 में शासन द्वारा 6 बिस्वा भूमि नियमानुसार शुल्क जमा करवाकर आवंटित की गई थी। लेकिन बाद में नेशनल हाईवे निर्माण में इसमें से 4 बिस्वा भूमि चली गई, जिससे मात्र 2 बिस्वा भूमि शेष बची। अब इस शेष भूमि पर मकान निर्माण करना भी उनके परिजनों के लिए टेढ़ी खीर बन गया है। परिजनों का आरोप है कि स्थानीय पशु चिकित्सालय के अधिकारी मकान निर्माण में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप कर रहे हैं और निर्माण कार्य को रोक रहे हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित गोविंद बल्लभ का कहना है कि इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय, कुमाऊं आयुक्त और प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायतें भेजी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उनका आरोप है कि तहसील स्तर पर सिर्फ लीपापोती कर मामले को टाला जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार भले ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनके आश्रितों के लिए तमाम योजनाएं चला रही है और समस्याओं के त्वरित निस्तारण के दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। गोविंद बल्लभ ने प्रशासन से अपील की है कि उन्हें उनकी शेष भूमि पर मकान निर्माण की अनुमति दी जाए और जो भी विभागीय अड़चनें हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से दूर किया जाए, ताकि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित को उसका हक मिल सके।

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