देहरादून, 2 जून। डॉ सुजाता संजय ने बताया कि गर्मी के मौसम में हर व्यक्ति को स्पेशल केयर की जरूरत होती है। इन दिनों अगर जरा भी लापरवाही की जाए, तो व्यक्ति को लू लग सकती है या डिहाइड्रेशन जैसी समस्या हो सकती है। खासकर, गर्भवती महिलाओं की बात करें उन्हें अपनी सेहत का ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। बॉडी में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है, तो उनकी ओवर ऑल हेल्थ पर इसका नेगेटिव असर पड़ सकता है। जैसे, ब्लड प्रेशर डाउन हो सकता है, हार्ट रेट बढ़ सकता है, चक्कर आ सकते हैं और कुछ गंभीर मामलो में बेहोशी भी छा सकती है। इस तरह ही तमाम समस्याओं से बचने के लिए आवश्यक है कि गर्भवती महिलाओं को पता हो कि वे इस गर्मी में अपना और गर्भ में पल रहे अपने शिशु का कैसे ध्यान रख सकती हैं?
डॉ सुजाता संजय ने बताया कि प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में कई तरह के हार्माेनल बदलाव आते हैं जिसकी वजह से उसे काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. वहीं अगर प्रेगनेंसी के दौरान गर्मी का मौसम हो, तो इसके लक्षण और ज्यादा तकलीफ देने लगते हैं और महिला को भूख की कमी, गैस, एसिडिटी, मितली, उल्टी जैसी समस्याएं होने लगती हैं जिसकी वजह से कमजोरी महसूस होती है और गुस्सा, इरिटेशन, चिड़चिड़ाहट आदि दिक्कतें बढ जा़ती हैं. यहां आपको बताते हैं ऐसे तरीके जिन्हें अपनाने से गर्मी के मौसम में कुछ राहत मिल सकती है ।
डॉ सुजाता संजय ने बताया कि फिजिकल वर्क गर्भवती महिलाओं को गर्मी के दिन में सुबह या शाम के समय करना चाहिए. दोपहर के समय तेज गर्मी होने के कारण फिजिकल वर्क कम ना करें तो बेहतर है. गर्मी के दिनों में दोपहर के समय गर्भवती महिलाओं को 1 से 2 घंटे का रेस्ट भी करना चाहिए. गर्मी के दिनों में शरीर बहुत जल्दी थक जाता है. ऐसे में आराम करना भी जरूरी है. गर्मी में फिजिकल वर्क करते हैं, तो शरीर में डिहाइड्रेशन या पानी की कमी होने की चांसेस अधिक रहता है. ये माम और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक है. गर्मी के दिनों में खाने की मात्रा भी कम हो जाती है ।
गर्मी के दिनों में गर्भवती महिलाओं को पानी या फिर कोई भी तरल पदार्थ की मात्रा पहले की तुलना में अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को गर्मी के दिनों में जूस, पानी या फिर कोई भी तरल पदार्थ कम से कम दिन में तीन से चार लीटर पीना चाहिए. ग्लास के अनुसार पूरे दिन में 15 से 20 ग्लास पानी पीना चाहिए. ऐसा करने से गर्मी में यूरिन इंफेक्शन नहीं होता. साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे को भी इसका फायदा मिलता है. गर्मी के दिनों में पसीना आने के कारण शरीर से पानी की मात्रा कम हो जाती है. ऐसे में चक्कर आने के साथ ही बीपी लो हो सकता है. बेचौनी महसूस हो सकती है. इसलिए तरल पदार्थ का अधिक सेवन जरूरी है ।