देहरादून 11 जुलाई। राजधानी देहरादून के घनी आबादी वाले मोहल्ले में शामिल धामावाला में हाई वोल्टेज से कई घरों के लाखों रुपये के विद्युत उपकरण मोबाइल चार्जर, टीवी, कूलर, फ्रीज और पंखा समेत बिजली से चलने वाले कई उपकरण फुंक गए।
उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन की लापरवाही कब किस उपभोक्ता पर भारी पड़ जाए इसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता। हाई वोल्टेज, लो-वोल्टेज की समस्या तो राजधानीवासियों के लिए आम बात हो चली है। कब लो वोल्टेज आ जाए इसका खुद विभाग को पता नही होता। गत रात राजधानी देहरादून के घनी आबादी वाले मोहल्ले में शामिल धामावाला में हाई वोल्टेज ने कई घरो को हजारो रूपये के नीचे ला दिया। सैकडो की संख्या में ऐसे उपभोक्ता शामिल रहे जिनके टीवी, फ्रीज, पंखे, सहित इलेक्ट्रोनिक सामान फूंक गए। कमाल की बात तो यह है कि हाई वोल्टेज आने का क्या कारण था इसका जवाब विभाग के अधिकारियो तक के पास नही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गत रात 1 बजे जब धामावाला मोहल्ले के लोग गहरी नींद में सो रहे थे तभी अचानक हाई वोल्टेज आ गयी। वोल्टेज की तीव्रता इतनी अधिक थी की बल्ब तक से धूएं निकल गए। हाई वोल्टेज के कारण सैकडो की संख्या में विद्युत उपभोक्ताओं के इलेक्ट्रॉनिक सामान जल गए। जिसके कारण उपभोक्ताओ को हजारो रूपये का नुकसान झेलना पडा। बात यहीं खत्म नही होती। हाई वोल्टेज के कारण कभी भी कोई भी अप्रिय घटना घटित हो सकती थी। हाई वोल्टेज एक ऐसी समस्या है जिससे आम उपभोक्ता निपट नही सकता। रात 1 बजे का समय भी ऐसा था कि विद्युत विभाग के अधिकारी खुद फोन नही उठाते। अंदाजा लगाया जा सकता है कि कल की रात धामावाला मोहल्ले में कितनी भारी गुजरी होगी। हालात इतने खराब रहे कि उपभोक्ताओ को इलेक्ट्रिशन ठुंठने से भी मिल रहे थे। अब सबसे बडा सवाल यह उठता है कि विद्युत उपभोक्ताओं को जो आर्थिक नुकसान झेलना पडा इसकी भरपाई कौन करेगा? क्योंकि जो विभाग 10 दिन बिल विलम्ब होने पर विद्युत संयोजन विच्छेद करने पहुंच जाता है वो तो अपनी गलती मानने से रहा। अब आर्थिक नुकसान की भरपाई कब और कैसे की जाएगी इसका जवाब उपभोक्ता उत्तराखण्ड सरकार के पूछ रहे हैं। कई उपभोक्ताओं का कहना है कि अब वह इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में करेंगे ताकि सूबे के मुख्यमंत्री जिनके पास ऊर्जा विभाग भी है वह इस समस्या का उचित समाधान खोजे और धामावाला मोहल्ले में जिन उपभोक्ताओं को उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन की गलती की सजा मिली है उसकी भरपाई हो सके।
बता दें कि उपभोक्ताओं के शिकायत के बाद भी बिजली विभाग न तो कोई कार्रवाई करती है और न ही मुआवजा देती है। ऐसे में सवाल यह है कि अगर हजारों रुपये के कीमती इलेक्ट्रॉनिक सामान बिजली विभाग की ही गलती से फुंक जाए तो उपभोक्ता क्या करे? क्या उपभोक्ता बिजली विभाग पर मुआवजा का दावा ठोक सकता है? देश में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 में ग्राहकों को या उपभोक्ताओं को ऐसे अधिकार मिले हैं कि अगर वह उसका इस्तेमाल करे तो उसे नुकसान की भरपाई सूद सहित वापस मिल सकता है।
हाई वोल्टेज से सामान फुंके तो क्या करें :-
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के साथ ऊर्जा मंत्रालय का भी साफ कहना है कि ग्राहकों या उपभोक्ताओं के किसी भी हित का उल्लंघन होने पर बिजली कंपनियां बच नहीं सकती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने 20 जुलाई, 2020 से पूरे देश में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 लागू कर दिया है। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट-2019 लागू हो जाने के बाद उपभोक्ताओं को कई तरह के अधिकार मिल गए हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 ग्राहक को उन कंपनियों से भी लड़ने का ताकत देता है, जो पहले के उपभोक्ता कानून में नहीं था।
उपभोक्ताओं के हितों का कैसे ख्याल रखती है यह कानून :-
नए कानून के तहत उपभोक्ता अदालतों के साथ-साथ एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण बनाया गया है। इस प्राधिकरण का गठन उपभोक्ता के हितों की रक्षा कठोरता से हो इसके लिए की गई है। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 लागू हो जाने के बाद उपभोक्ता किसी भी उपभोक्ता न्यायालयों में मामला दर्ज करा सकेगा. पहले के कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था।