हल्द्वनी। उत्तराखंड का प्रमुख और विकसित माना जाने वाला शहर हल्द्वानी इन दिनों भारी बिजली संकट से जूझ रहा है। विडंबना यह है कि यही शहर कई विधायकों, मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों का निवास स्थल है, फिर भी यहां की जनता रोज़ाना 8 से 10 घंटे तक बिजली कटौती झेलने को मजबूर है।
गर्मी और उमस के इस मौसम में लगातार हो रही अघोषित कटौती से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इन्वर्टर और जनरेटर पर निर्भरता बढ़ रही है, दस घंटे कटौती से तो वो भी काम नहीं कर रहे हैं वहीं व्यापारियों, छात्रों और गृहिणियों के सामने कठिनाईयाँ बढ़ती जा रही हैं।
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जनता का दर्द : “नेताओं का शहर है, फिर भी अंधेरे में डूबा है हल्द्वानी”
बनभूलपुरा निवासी नासिर बोले, “आठ से दस घंटे की बिजली कटौती से छोटे बच्चों और बुजुर्गों की परेशानी कोई नहीं देखता।”
काठगोदाम निवासी सविता बोरा ने कहा, “बिल पूरे आते हैं, बिजली आधी मिलती है। नेताओं-अधिकारियों के शहर में भी जनता परेशान है, तो बाकी जगह क्या होगा?”
मुखानी क्षेत्र के व्यापारी अमरजीत सिंह ने बताया, “बिजली कटौती से कारोबार ठप है। मशीनें बंद हैं, फ्रीज़र गर्म हैं और नुकसान बढ़ता जा रहा है।”
ठेकेदार हरेंद्र मेहता ने नाराज़गी जताई, “हल्द्वानी अब ‘अंधेर नगरी’ बन गया है। विभाग के अफसर मौन हैं, जनता परेशान है।”
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कहाँ हैं जिम्मेदार?
- शहर में ही रहते हैं ऊर्जा निगम के अधिकारी
- शिकायतों के बावजूद नहीं सुधर रही स्थिति
- जनप्रतिनिधि भी खामोश
- दिन में 8 से 10 घंटे तक बिजली गुल
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जनता की मांग : “अब बस बहुत हुआ, रोशनी लौटाइए”
लोगों ने सरकार और ऊर्जा निगम से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द शहर की बिजली व्यवस्था दुरुस्त की जाए। लोगों का कहना है कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो वे सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।
