हल्द्वानी। टीबी अथवा छाती के अन्य रोगों के वो मरीज जो बलगम में खून अने से परेशान हैं उनको अब हल्द्वानी से बाहर जाने की जरूरत नहीं है। हल्द्वानी में पहली बार मरीज के फेफड़ों में हो रहे अत्यधिक रक्तस्राव को अत्याधुनिक उपचार से रोक कर मरीज को नया जीवनदान दिया गया। नीलकंठ अस्पताल के वरिष्ठ चेस्ट रोग विशेषज्ञ डा. गौरव सिंघल और ओम मीनाक्षी हैल्थ केयर के वरिष्ठ इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डा. मोहित तायल ने बताया कि दो दिसंबर को एक 24 वर्षीय युवक को खांसी में अत्यधिक रक्तस्राव होने पर नीलकंठ अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। जब उसकी जांच की गई तो पता चला कि टीबी की वजह से फेफड़े खोखले हो चुके हैं जिस कारण से खून ज्यादा मात्रा में आ रहा है। ज्यादा रक्तस्राव होने से मरीज का हिमोग्लोबिन स्तर भी कम हो रहा था। ऐसे में डाक्टरों ने ब्रोन्कियल आर्टरी एम्बोलाइजेसन तकनीक से फेफड़े की नस को ब्लाक करने का निर्णय लिया। इस तकनीक से मरीज की जांघ की नस से एक नली और वायर डाल कर दूरबीन की मदद से उसे फेफड़े तक पहुंचाया गया जिसके बाद नस को ब्लॉक कर दिया गया। वरिष्ठ इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डा. मोहित तायल ने बताया कि कुमाऊ मंडल में पहली बार इस तकनीक से सफल ऑपरेशन किया गया है। हल्द्वानी में इस तकनीक से उपचार होने के बाद मरीजों को अब बाहर जाने की जरूरत नहीं है। वरिष्ठ छाती रोग विशेषज्ञ डा. गौरव सिंघल और वरिष्ठ इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डा. मोहित तायल ने बताया कि खांसी में जब खून आए तो उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। अस्पताल के प्रबंधक मनीष बताते हैं कि पहले इस इलाज के लिए बड़े शहरों में जाना पड़ता था परन्तु अब यह उपचार नीलकंठ अस्पताल में उपलब्ध है और इसके अतिरिक्त मरीज का अस्पताल में रूकना भी कम हो जाता है।