
उत्तराखंड में अब तक का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला साबित हो रहा LUCC चिटफंड मामले में बड़ी जांच शुरू होने जा रही है। प्रदेश पुलिस ने इस घोटाले की अपनी रिपोर्ट राज्य शासन को सौंप दी है, जिसके बाद इस मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को सौंपने की तैयारी की जा रही है।
LUCC (लोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी) ने दूरदराज के पहाड़ी इलाकों से लेकर देश के अन्य राज्यों तक हजारों लोगों की कमाई को ठगने का काम किया। इस चिटफंड कंपनी ने बैंकिंग की कमज़ोर स्थिति का फायदा उठाकर निवेशकों को डबल रिटर्न का लालच दिया और करोड़ों रुपये का घपला किया। शुरू में कुछ लोगों को मुनाफा दिखाकर विश्वास जीतने के बाद कंपनी ने स्थानीय एजेंट बनाकर बड़े स्तर पर लोगों को निवेश के लिए प्रेरित किया, लेकिन जब पैसा करोड़ों में पहुंचा तो कंपनी अचानक फरार हो गई।
इस घोटाले में अब तक आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि चार के खिलाफ लो-कॉर्प्स (LOC) जारी हैं और संपत्ति जब्ती की कार्रवाई भी जारी है। उत्तराखंड हाईकोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई हो रही है, जहां सरकार से जवाब मांगा गया है।
प्रदेश के विभिन्न जिलों जैसे देहरादून, पौड़ी गढ़वाल, उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल और रुद्रप्रयाग में कुल 13 मुकदमे इस मामले में दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी इस घोटाले से जुड़े करीब 70 मामले दर्ज हैं। उत्तराखंड CID जांच कर रही थी, लेकिन शिकायतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अब जांच सीबीआई को सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
इस घोटाले को लेकर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दल भी इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने में लगे हैं। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री धामी सरकार पर घोटाले की भूमिका को लेकर आरोप लगाए हैं और LUCC घोटाले पर बड़ा हल्ला बोलने की तैयारी में है।
LUCC चिटफंड घोटाला सिर्फ एक कंपनी का मामला नहीं है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि कितनी अन्य चिटफंड कंपनियां दूरस्थ इलाकों में लोगों को ठग रही हैं। अब जरूरत है कड़ी और पारदर्शी जांच की, ताकि इस तरह के धोखाधड़ी के मामलों को समय रहते रोका जा सके और जनता की हिफाजत हो सके।
