
उत्तराखंड की रुद्रप्रयाग नगर पालिका परिषद में विकास कार्यों को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है। सभासदों ने आरोप लगाया है कि पालिका में बिना बोर्ड बैठक की मंजूरी के कार्य संचालित किए जा रहे हैं और सदस्यों को अंधेरे में रखकर फैसले लिए जा रहे हैं। नगर पालिका के पांच आक्रोशित सभासदों ने जिलाधिकारी प्रतीक जैन से मुलाकात की और पूरी स्थिति से अवगत कराया।
सभासद अंकुर खन्ना, सुरेंद्र रावत, किरन पंवार, रवीना देवी और नरेंद्र सिंह रावत ने डीएम से कहा कि अधिशासी अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। आरोप लगाया गया कि बिना बजट पास किए ही करोड़ों रुपये के टेंडर और भुगतान किए जा रहे हैं। यही नहीं, JAM पोर्टल को दरकिनार कर लाखों रुपये के सामान की खरीद भी कर ली गई है।
बिना टेंडर दुकानों का आवंटन और गुमराह करने का आरोप
सभासदों ने यह भी दावा किया कि दुकानों का आवंटन बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के किया गया और निर्माण कार्य भी बिना किसी समिति गठन के कराए जा रहे हैं। जब इन अनियमितताओं को लेकर अधिकारी से सवाल किए जाते हैं, तो उन्हें गुमराह किया जाता है।
सभासदों ने बताया कि उन्होंने पहले ही 23 अप्रैल को अधिशासी अधिकारी को पत्र भेजकर चेतावनी दी थी कि जब तक पारदर्शिता नहीं लाई जाती, वे बोर्ड बैठकों का बहिष्कार करेंगे। बावजूद इसके, अधिकारी ने बिना सदस्यों की सहमति के दो बोर्ड बैठकें आयोजित कर दीं और पत्र में उठाए गए मुद्दों को एजेंडे में शामिल तक नहीं किया गया।
सभासदों ने दो टूक कहा कि जब तक नगर पालिका परिषद रुद्रप्रयाग में हुई कथित अनियमितताओं की जांच के लिए स्वतंत्र समिति का गठन नहीं किया जाता, तब तक वे बोर्ड बैठकों का अनिश्चितकालीन बहिष्कार जारी रखेंगे।
जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने सभासदों को आश्वस्त किया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच कमेटी का गठन किया जाएगा। साथ ही उन्होंने संबंधित मामले की जांच के आदेश एसडीएम को दे दिए हैं।
