उत्तराखंड के केदारनाथ उपचुनाव को लेकर कांग्रेस के प्रत्याशियों का पैनल सीधे दिल्ली भेजे जाने से पार्टी में घमासान मच गया है। वरिष्ठ पर्यवेक्षक गणेश गोदियाल ने प्रत्याशियों का पैनल सीधे प्रदेश प्रभारी सैलजा को भेज दिया, जिससे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और अन्य दावेदारों ने आपत्ति जताई है।
कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने 13 दावेदारों के साथ स्थानीय पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की राय को लेकर रिपोर्ट तैयार की, लेकिन यह रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को बिना सूचना दिए दिल्ली भेज दी गई। इससे पार्टी के भीतर घमासान की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराई है, यह कहते हुए कि उन्होंने केदारनाथ यात्रा निकालकर कांग्रेस के समर्थन में माहौल बनाया था। इस यात्रा ने पार्टी में नई ऊर्जा का संचार किया, लेकिन पर्यवेक्षकों के पैनल को लेकर लिए गए फैसले पर उन्होंने अपनी असहमति जताई।
वहीं, वरिष्ठ पर्यवेक्षक गणेश गोदियाल ने कहा कि उन्हें पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी प्रदेश प्रभारी द्वारा दी गई थी, इसीलिए उन्होंने रिपोर्ट उन्हीं को सौंपी।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता और केदारनाथ सीट के दावेदार शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि 13 दावेदारों की दावेदारी को लेकर पर्यवेक्षकों ने पारदर्शिता नहीं बरती। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी की परंपरा के खिलाफ जाकर रिपोर्ट सीधे केंद्रीय नेतृत्व को भेजी गई है।
बिष्ट ने चेतावनी दी कि अगर चयन प्रक्रिया में पक्षपात जारी रहा, तो पार्टी हित में उन्हें यह मुद्दा सार्वजनिक रूप से उठाना पड़ेगा। यह स्थिति कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बन चुकी है, और यदि पार्टी में सुधार नहीं हुआ, तो विरोध बढ़ सकता है।