संस्कृत ने ही चिकित्सा के बहुमूल्य ग्रन्थ व अथाह ज्ञान बहुत पहले ही पूरे विश्व में फैलाया था -डॉक्टर आशुतोष पंत

हल्द्वानी
संस्कृतभारती उत्तरांचल न्यास के कुमाऊं संभाग द्वारा श्री राममंदिर धर्मशाला रेलवे बाजार, हल्द्वानी में आवासीय प्रबोधन वर्ग के पंचम दिवस का उद्घाटन वैदिक मंगलाचरण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। अतिथियों का स्वागत प्रान्त शिक्षण प्रमुख डॉ राघव झाँ ने किया।
उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डा आशुतोष पंत (पूर्व जिला आयुर्वेदिक अधिकारी) ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी प्राण भाषा है और भारत को इसके बिना नहीं जाना जा सकता है संस्कृत ने ही चिकित्सा के बहुमूल्य ग्रन्थ व अथाह ज्ञान बहुत पहले ही पूरे विश्व में फैलाया था । भारत का अस्तित्व ही संस्कृत से है। अतः हम सभी को इसे जानना चाहिए।मुख्य वक्ता डा जगदीशपांडेय ने भाषा के चार कोशलों श्रवण, कथन, पठन व लेखन से कैसे भाषा को सीखा जा सकताहै इस बारे में विस्तार से प्रशिक्षुओ को बताया।
वर्गाधिकारी श्री कैलाश पंत ने बताया कि प्रत्येक वर्ष संस्कृत भारती आवासीय वर्गों के माध्यम से बिगत ४० वर्षों से करोड़ों लोगों को संस्कृत सिखा चुकी है, इस वर्ष भी उत्तराखण्ड में उत्तरकाशी और हल्द्वानी में यह कैम्प लगाया गया है।
संस्कृतभारती की प्रन्ताध्यक्षा श्रीतमी जानकी त्रिपाठी ने भी प्रशिशुओ को संबोधित किया। प्रदेश प्रचार प्रमुख श्री जगदीश जोशी ने अतिथियों का परिचय किया व बताया कि इस आवासीय शिविर में १० शिक्षक व १० प्रबंधक पूरे कुमाऊँ मण्डल से आये हैं । शिविर के सर्व व्यस्था प्रमुख श्री प्रकाश भट्ट ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। विदित हो कि इस आवासीय प्रबोधन वर्ग में 60 से अधिक शिक्षार्थी प्रशिक्षण ले रहे हैं इस अवसर पर वर्ग शिक्षणप्रमुख दीपचन्द्र जोशी ,डॉ. हेमंत जोशी, डॉ. कमल बेलवाल, जगदीश जोशी, दीपचन्द्र जोशी, मोहित जोशी , ज्योति प्रकाश , निशान्त, निष्कर्ष, संजय भट्ट जतिन भारतीपांडेय डा नीरज जोशी आदि उपस्थित थे।

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