राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में आता है सड़क सुरक्षा : पुलिस महानिदेशक

सिटी पेट्रोल यूनिट में नियुक्त कर्मियों को भी यातायात पुलिस के अन्तर्गत ही माना जायेगा

 

राज्य में पंजीकृत वाहनों की संख्या लगभग 33 लाख

देहरादून, 19 दिसम्बर। आज राज्य में यातायात एवं सड़क सुरक्षा पर एक संगोष्ठी पुलिस मुख्यालय सभागार में अभिनव कुमार पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड की अध्यक्षता में आयोजित की गयी। जिसमें अमित सिन्हा अपर पुलिस महानिदेशक प्रशासन, वी. मुरूगेशन अपर पुलिस महानिदेशक पुलिस दूरसंचार, एपी अंशुमान अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था, मुख्तार मोहसिन निदेशक यातायात एवं सर्वेश पंवार पुलिस अधीक्षक यातायात देहरादून भी मौजूद रहे।

निदेशक यातायात द्वारा इस सम्बन्ध में प्रस्तुतिकरण दिया गया तथा राज्य में यातायात पुलिस की जनशक्ति, साजो सामान एवं उपकरणों की वर्तमान स्थिति प्रस्तुत करते हुए यातायात व सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित समस्याओं एवं चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया।

अभिनव कुमार पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड द्वारा बताया गया कि यातायात एवं सड़क सुरक्षा राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में आता है अतः इसमें बल की कमी को पूरा करने हेतु उपनल के माध्यम से जनशक्ति बढ़ाई जाये साथ ही होमगार्ड एवं पीआरडी के जवानों की और अधिक मॉग शासन स्तर पर की जाये।

एपी अंशुमान अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था के द्वारा बताया गया कि सिटी पेट्रोल यूनिट में नियुक्त कर्मियों को भी यातायात पुलिस के अन्तर्गत ही माना जायेगा। उन्होंने बताया कि राज्य में पंजीकृत वाहनों की कुल संख्या लगभग 33 लाख है। जिसके अनुपात में जनशक्ति काफी कम है। पुलिस महानिदेशक द्वारा इसका ऑडिट भी कराये जाने के निर्देश दिये गये। निदेशक यातायात द्वारा अवगत कराया गया कि वर्तमान में राज्य में कुल 28 इण्टरसेप्टर वाहन मौजूद हैं। भविष्य में यातयात ड्यूटी हेतु सभी दोपहिया वाहन हैवी ड्यूटी के खरीदे जायें जिनकी क्षमता 400-500 सीसी की हो। जिस जनपद में फैटेलिटी रेट अधिक है वहॉ पर संसाधन एवं जनशक्ति को बढ़ाया जाये तथा ब्लैक स्पॉट को भी चिन्हित किया जाये साथ ही इनका डाटा तैयार कर विश्लेषण किया जाये। ताकि ऐसे स्थानों की पहिचान हो सके एवं दुर्घटनाओं को रोका जा सके। पुलिस महानिदेशक द्वारा यह भी निर्देश दिये गये कि शहरों में पीक ऑवर्स में पुलिस की विजिविलिटी रहे तथा आवासीय व व्यावसायिक कॉम्पलेक्स के बाहर वाहन पार्किंग न होने दी जाये इसके अतिरिक्त चारों बड़े जनपदों में कुछ एकड़ भूमि चयनित की जाये जहां पर थानों में खड़े लावारिस व मुकदमें से सम्बन्धित वाहन एक साथ खड़े किये जा सके ताकि थानों में जगह खाली हो एवं उनकी सुन्दरता भी प्रभावित न हो।

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