
देहरादून
मुख्य सचिव ने परिवहन विभाग और संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि उत्तराखंड में ग्रीन परिवहन की अवधारणा को साकार करने तथा मा. प्रधानमंत्री के इलेक्ट्रिक वाहन के संबंध में 2030 तक के लक्ष्य के अनुरूप पॉलिसी में मैन्युफैक्चरर, उपभोक्ता और संचालक सभी के लिए बेहतर इंसेंटिव का प्रावधान शामिल करें जिससे इलेक्ट्रिक वाहन का एक बेहतर इकोसिस्टम डेवलप हो सके।
उन्होंने बेहतर इंसेंटिव के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहन के अनुकूल में आने वाले अवरोधों के त्वरित समाधान के लिए पॉलिसी में प्रभावी और त्वरित निगरानी तंत्र का प्रावधान करने के भी निर्देश दिए।
सचिव विनय शंकर पांडेय और परिवहन विभाग द्वारा प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहन के अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए इस पॉलिसी में मैन्युफैक्चरर से लेकर उपभोक्ता, संचालक और चार्जिंग स्टेशन स्थापन इत्यादि के लिए बेहतर इंसेंटिव का प्रावधान किया जा रहा है। कहा कि इस पॉलिसी में कार्बन क्रेडिट बेनिफिट के लिए प्रेरक इंसेंटिव, इंडस्ट्री साइड और उपभोक्ता साइड के लिए इंसेंटिव, कैपिटल सब्सिडी, स्टाम्प ड्यूटी, ब्याज सब्सिडी, भूमि रिबेट, रिसर्च एंड डेवलपमेंट फैसिलिटी इत्यादि सभी के लिए इंसेंटिव का प्रावधान की बात है।
इसमें वाहन की अलग-अलग श्रेणी टू व्हीलर, थ्री व्हीलर, फोर व्हीलर, E बस इत्यादि के क्रम में इंसेंटिव का प्रावधान शामिल होगा।
उन्होंने अवगत कराया कि भारत में कुल वाहन की संख्या 34 करोड़ है। जिसमें 61.65 लाख इलेक्ट्रिक वाहन शामिल है।
उत्तराखंड में कुल वाहन 4215496 है जिसमें कुल इलेक्ट्रिक वाहन 84614 हैं।
बैठक में प्रमुख सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव विनय शंकर पांडेय, डॉ आर राजेश कुमार व एस एन पांडेय सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
