देहरादून। स्वयं संस्था की ओर से ओंकार रोड स्थित कार्यालय में इको फ्रेंडली होली मनाने का संदेश दिया गया। इस अवसर पर संस्था की उपाध्यक्ष श्रीमती मंजू सक्सेना ने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान समय में त्योहार मनाने के तरीकों में बहुत अंतर आ गया है। होली के अवसर पर प्रयोग किए जाने वाले रंगों में हानिकारक कॉपर, मरकरी और लैड आदि के यौगिक पाए जाते हैं जो त्वचा के लिए बहुत नुकसानदायक होते हैं। साथ ही ये पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इन कृत्रिम रंगों के कारण नेत्र रोग ,त्वचा रोग और एलर्जी भी हो सकती है। इतना ही नहीं यह मिट्टी में रहने वाले सूक्ष्म जीवों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। श्रीमती सक्सेना ने बताया कि टेसू, गुलाब ,गेंदा आदि के फूलों को सुखाने के बाद उबालकर इनसे सुंदर प्राकृतिक रंग तैयार किए जा सकते हैं। चुकंदर को पानी में उबालकर भी उससे सुंदर रंग बनाया जा सकता है। होली का त्योहार मनाते समय हमें थोड़ी सतर्कता भी बरतनी है। जहां तक हो सके गीले रंगों के बजाय सूखे प्राकृतिक रंगों से त्योहार मनाना चाहिए जिससे हम भी सुरक्षित रहे और दूसरों को भी सुरक्षा मिल सके। इस अवसर पर एक चित्रकला प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसके माध्यम से छात्र/ छात्राओं ने इको फ्रेंडली होली मनाने का संदेश दिया। सर्वश्रेष्ठ पोस्टर बनाने वाली छात्रा कु० अनिता को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर श्रीमती स्नेह, दिनेश चंद्र जोशी, नितिन, डॉ. कुसुम रानी नैथानी, श्रीमती कौशल्या, श्रीमती शांति, डॉ. उमेश चंद्र, अभिषेक, रोहित कुमार एवं छात्र/ छात्राएं उपस्थित रहे।