नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी हिंसा के आरोपियों की शनिवार को हुई सुनवाई के बाद आज 50 आरोपियों को ज़मानत दे दी है। इनमें 6 महिलाएं भी शामिल हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर जमीयत उलेमा हल्द्वानी की लोकल बॉडी ने इस मामले में लगातार प्रयास किए। मौलाना मोहम्मद आसिम, इमाम मस्जिद बिलाली और सदर जमीयत उलेमा हल्द्वानी, ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट नित्या रामा कृष्णन की अगुवाई में नैनीताल हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी। अल्लाह के करम और दुआओं से 50 लोगों की ज़मानत मंजूर हो गई है, और शेष आरोपियों की ज़मानत के लिए भी कार्यवाही जारी है।
बता दें कि इसी वर्ष 8 फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में अतिक्रमण हटाने के दौरान प्रशासन और पुलिस की टीम पर पथराव, आगजनी और गोलीबारी का हमला हुआ था। हिंसा के दौरान, गाड़ियों और थाने को आग के हवाले कर दिया गया था, जिससे कई लोगों की जान गई और 100 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे। स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि इलाके में कर्फ्यू लगाना पड़ा था।
इस हिंसा के दौरान नगर निगम और सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान हुआ। नुकसान का आकलन करने के बाद नगर निगम ने मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक को नुकसान की भरपाई के लिए वसूली नोटिस जारी किया। पुलिस ने अब्दुल मलिक, उसकी पत्नी साफिया मलिक, और उनके बेटे को गिरफ्तार किया था।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिंसा में शामिल आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। 8 फरवरी की शाम लगभग साढ़े चार बजे शुरू हुई हिंसा पूरे इलाके में फैल गई थी, जिसमें गुस्साए लोगों ने थाने के बाहर खड़े पुलिस और मीडिया कर्मियों के दर्जनों वाहनों को आग लगा दी थी।