देहरादून। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट आज रविवार को रात 9 बजकर 7 मिनट पर शीतकाल के लिये बंद हो गये हैं। श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि शीतकाल के लिये भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होने की प्रक्रिया में रावल अमरनाथ नंबूदरी स्त्री भेष धारणकर माता लक्ष्मी को श्री बदरीनाथ मंदिर गर्भ-गृह में विराजमान किया, इससे कुछ ही समय पूर्व श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी उत्सव विग्रह मंदिर परिसर में लाए गये। इसके बाद रात सवा आठ बजे से कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हो गयी तथा घृत कंबल ओढ़ाने के बाद निर्धारित समय रात 9 बजकर 7 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिये बंद हो गये। जिसके पश्चात 18 नवंबर प्रात: श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी उत्सव विग्रह आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ योग बदरी पांडुकेश्वर को प्रस्थान करेंगे। श्री बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने के कार्यक्रम के तहत आज ब्रह्ममुहुर्त 4 बजे मंदिर दर्शन और पूजा अर्चना के लिए खोला गया। जिसके बाद प्रतिदिन की भांति अभिषेक पूजा व अन्य पूजाएं की गयी। कपाट बंद होने के दिन मंदिर में पूरे दिन दर्शन की परंपरा का निर्वहन किया गया। सायं 6 बजकर 45 मिनट पर सायंकालीन पूजा शुरू हुई। जिसके बाद 7 बजकर 45 मिनट पर स्त्री रूप धारण कर रावल जी माता लक्ष्मी जी को मंदिर परिसर स्थित लक्ष्मी मंदिर से श्री बदरीनाथ मंदिर में प्रवेश कराया। शाम 8 बजकर 10 मिनट पर शयन आरती हुई तथा इसके बाद कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हो गयी। 9 बजे रात्रि तक भगवान बदरी विशाल को माणा महिला मंडल की ओर से तैयार किया गया घृत कंबल ओढ़ाया गया। जिसके बाद ठीक 9 बजकर 07 मिनट पर शुभ मुहूर्त में भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल के लिये बंद हो गये।
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