उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव सम्पन्न होते ही उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश की बिजली दरों में सात फीसदी बढ़ोत्तरी कर दी है। जिसकी कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता डॉ गणेश उपाध्याय ने तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने साल 2023 में बिजली की दरों में 9.64 फीसदी बढ़ोतरी की थी एक बार फिर इस साल बिजली की दरें बढ़ा दी। उन्होंने इस मामले पर हमलावर होते हुए कहा कि सरकार ने जनता को महंगाई में धकेल दिया है। कोरोना महामारी की मार से अभी तक प्रदेशवासियों के आजीविका और रोजगार की व्यवस्था उबर नहीं पाई है। ऐसे में सरकार प्रत्येक क्षेत्र में महंगाई बढ़ाने का काम कर रही है। आमजन के पानी और बिजली के बिल कम करने के बजाय भाजपा सरकार उन्हें बढ़ाकर घावों पर नमक छिड़कने का कार्य कर रही है। राज्य में कई जलविद्युत परियोजनाएं संचालित हैं और कई निर्माणाधीन हैं। वहीं उत्तराखंड में तमाम डैम हैं जिन्हें विकसित रुप देकर विद्युत परियोजना से प्रदेशवासियों को बिजली की दरों को कम किया जा सकता है। राज्यवासियों को घरेलू उपभोग के लिए कम दर पर बिजली आपूर्ति की जानी चाहिए। किसानों को खेती के लिए नि:शुल्क बिजली दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे उत्तराखंड में प्री पोस्ट स्मार्ट मीटर लगने जा रहे हैं ,जिसमें अडानी को यह पूरा ठेका मिला है। आने वाले वक्त में गरीब जनता को अडानी और बड़े उद्योगपतियों के हाथों की कठपुतली बनाया जा रहा है। सरकार उपभोक्ताओं से पहले ही मीटर चार्ज के रूप में वर्षों तक किराया वसूल करती है। जबकि विद्युत मीटर की कीमत मात्र कुछ ही समय में पूरी हो जाती है। जमानत के रूप में कनेक्शन लेते समय मोटी रकम वसूल की जाती है। प्रदेश वासियों को लोकसभा चुनाव के तुरन्त बाद पुनः मंहगाई के दल-दल में धकेलना भाजपा सरकार की निरंकुशता एवं तानाशाही को दर्शाता है।
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