हल्द्वानी
यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष नेे कहा कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का निर्माण धार्मिक परंपरा के विपरीत है। सनातन परंपराओं के खिलाफ इसका निर्माण किया जा रहा है। बाबा का वास हिमालय में है। केदारनाथ मंदिर भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक है। ऐसे में इस दिव्य धाम का प्रतीकात्मक निर्माण संभव नहीं है।
श्री आर्य ने कहा कि ऐसे में केदारनाथ धाम से शिला ले जाकर दिल्ली में स्थापित करके सीएम ने केदारनाथ धाम की परंपरा के साथ खिलवाड़ किया है। उन्होंने पूछा कि केदारनाथ धाम ट्रस्ट और उत्तराखंड सरकार को आखिर केदारनाथ धाम के नाम से राजधानी दिल्ली में मंदिर बनाने की जरूरत क्यों पड़ी? यह सीधे-सीधे करोड़ों शिव भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि श्री केदार धाम हमारी धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक चेतना का केंद्र है यह प्रदर्शनी या पर्यटन का विषय नहीं है यह सरकारों को समझ लेना चाहिए। शैव परंपरा की पांच पीठों में से श्री केदार धाम एक पीठ है जहां के रावल गुरु स्थान में होकर जगतगुरु कहलाते हैं जिस प्रकार आदि शंकराचार्य जी ने चार मठों की स्थापना की उसी प्रकार शैव परंपरा में पांच पीठ हैं पुराणों की कथा के अनुसार रावण ने भी ऐसा ही एक प्रयास किया था भगवान शिव के शिवलिंग को अपने साथ ले जाने का,दिल्ली में मंदिर बनाने से बेहतर होता कि जो लोग केदारनाथ जी के मंदिर में लगे हुए सोने का पीतल कर गए उनकी जांच पड़ताल करना सरकार का कर्तव्य था परंतु सरकार केवल साधु भेष में सीता रूपी वोट का हरण करना चाहती है।
श्री आर्य ने कहा कि मध्य हिमालय स्थित केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इसको पुराण में हिमालय तु केदारं कहा गया है। केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग को सतयुग का ज्योतिर्लिंग भी कहा गया है। केदारनाथ धाम हमारी आध्यात्मिक सम्पत्ति है, इसलिए प्रति वर्ष करोड़ों श्रद्धालु बाबा के धाम में आकर विश्व समृद्धि की कामना करते हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम के अस्तित्व और महत्व को कम करने की किसी भी योजना को सफल नहीं होने दिया जाएगा। श्री केदार इनको सद्बुद्धि प्रदान करें और जगत का कल्याण करें।